@harshsi 05:49 Jun 4, 2014
शाक्यसिंह से तुक भिड़ाते हुए "आध्यात्मिक सिंह" के रूप में ऐसी किताब के नाम का अनुवाद जिस में बुद्ध को एक सहज मानव के तौर पर दर्शाया गया है, अटपटा तो लगता है। आपके द्वारा दिए गए विवरण से "आध्यात्मिक शेर" कहे जाने का औचित्य सिद्ध नहीं होता है। बुद्ध तो प्रेम, करुणा, तर्क और विवेक की बात करने वाले एक युग परिवर्तनकारी व्यक्तित्व थे। न तो बुद्ध एशिया को जीतने निकले थे, न ऐसा इरादा रखते थे। प्रतीकों का प्रयोग ऐसा हो जो व्यक्तित्व से कहीं मेल खाता हो। प्रतीक, रूपक, बिंब गढ़ते समय अनुवादक एक सुनिश्चित परिधि के अंतर्गत ही यह कर सकता है। विकीपीडिया पर किताब के बारे में जो जानकारी है, उसका यह वाक्य देखिए A film adaptation of the poem directed by Franz Osten and Himansu Rai was made in 1928, titled, Prem Sanyas (The Light of Asia in English). |