विषयेतर चर्चा - नुक्ता के बारे में 04:43 Oct 19, 2012
प्रश्नकर्ता ने नुक्ते के संबंध में महत्वपूर्ण प्रश्न किया है। इस संबंध में मेरे विचार कुछ-कुछ दुविधात्मक है। मैं किशोरीदास वाजपेयी की भाषा-प्रयोग संबंधी सम्मतियों को मानने के पक्ष में हूँ, और उन्होंने नुक्ते का प्रयोग न करने की सलाह दी है। नवभारत टाइम्स जैसे अखबारों में भी नुक्ते का संपूर्ण बहिष्कार है, हालांकि यह अखबार भाषा-प्रयोग के संबंध में काफी फोर्वर्ड है - अंग्रेजी के कई सरल-कठिन शब्दों को यह धड़ल्ले से चलाता है, पूर्ण-विराम के लिए फुलस्टॉप चलाता है, और चंद्रबिंदु का प्रयोग नहीं करता, लेकिन नुक्ता नहीं लगाता कहीं भी। तो इस संबंध में हिंदी में आम राय नहीं बन पाई है। मैं स्वयं अब कंप्यूटर से संबंधित शब्दों में, जैसे फाइल, फोल्डर आदि में. नुक्ता लगाने लगा हूँ क्योंकि यही आम प्रचलन है। पर अपने स्वतंत्र लेखनों में नुक्ता अब भी नहीं लगाता। जहाँ तक ज़ीना को जीना समझने का सवाल है, बहुत सी बातें संदर्भ से भी स्पष्ट होती हैं, और कोई भी इस तरह का गलत अर्थ नहीं पकड़ेगा। नुक्ते का सवाल इससे भी जटिल होता जा रहा है कि अब उर्दू की कई किताबें, लेख, ब्लॉग आदि अब नागरी लिपि में भी आने लगी हैं, और वहाँ नुक्ता लगाने का प्रचलन है। मुझे लगता है कि इस मामले का अंतिम निपटारा अभी कुछ समय के लिए नहीं होनेवाला है, क्योंकि इसको लेकर आम राय बनना कठिन है। |