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जब तक मुद्दे पर ध्यान न दिया जाएगा(मुद्दे को संबोधित न किया जाएगा) और उस पर चर्चा न की जाएगी तब तक समाधान न आएगा। समाधान या निपटान, संबोधन के बाद की प्रक्रिया है। यहां पर संबोधन को व्यापक रूप में देखे जाने की जरूरत है। "राष्ट्र के वित्त मंत्री के सामने बहुत सारी समस्याएं मुंह खोले खड़ी हैं, लेकिन मंहगाई ऐसा मुद्दा है जिसे सबसे पहले संबोधित (Address) किया जाना चाहिए।"
आपने जो उदाहरण दिया, उसमें तो संबोधन के प्रयोग के बारे में कोई संदेह ही नहीं है आशीष जायसवाल जी। मेरा बस इतना ही कहना है कि इंसानों ही नहीं मुद्दों को भी संबोधित किया जाता है। बहरहाल, आशीष जी मैंने अपने सारे तर्क रख दिए हैं। अब थक गया हूँ। चर्चा के दौरान कुछ मेरा कहा बुरा लगा हो तो माफ़ कीजिएगा। दरअसल जैसे कुछ लोगों को वर्ग-पहेली का सुख मिलता है, वैसे ही मुझे कुडोज़ प्रश्नों में भागीदारी करने का। हो सकता है ज़्यादा लिंक प्रस्तुत कर दिए हों। बात को अनावश्यक खींच दिया हो। जो भी हो। उम्मीद करता हूँ अन्यथा न लेंगे।
ललित जी कला एवं विज्ञान में यही फर्क होता है, जहां गणित में 2 गुणे 2 हमेशा 4 ही होगा, वहीं भाषा में एक ही वाक्य के कई बार अनेक अर्थ होते हैं, जो कि संदर्भ के अनुसार प्रयोग किए जाते हैं, सब्जेक्टिव चीजों में अपनी पसंद विशेष को अन्य लोगों पर नहीं थोपा जा सकता है, यदि हम एक ग्रे जोन को ब्लैक एण्ड व्हाईट जोन बनाने का प्रयास करेंगे तो ऐसी चर्चाएं अंतहीन होंगी
वैसे आप मेरे 'हमेशा' वाले कुछ व्यंग्यात्मक वाक्यों के बारे में भी प्रकाश डालेंगे क्या?
ललित जी, मेरे कहने का कतई आशय नहीं था कि "संबोधित" शब्द कठिन/क्लिष्ट है, बल्कि यह तो हिंदी के सरलतम शब्दों में से एक है, लेकिन क्या सरल शब्दों के माध्यम से क्लिष्ट वाक्यांश की रचना नहीं की जा सकती? सरल शब्दों का यह अर्थ तो कतई नहीं कि उनसे बनने वाले सारे वाक्य उतनी ही सरलता से भावों को संप्रेषित करेंगे। आप बार-बार शब्दों को पकड़ने के चक्कर में भाव को कहीं नज़रंदाज कर जाते हैं। भाव को पकड़िए, भाई! अब यह न कह बैठियेगा कि किस चीज़ से पकड़ें।
आशीष जी आपकी बात सही है। मैं भी यह नहीं कह रहा हूँ कि हर हमेशा एड्रेस के लिेए "संबोधित" शब्द का ही प्रयोग होगा। उदाहरण के लिए - "बिजली, पानी औऱ महंगाई के मुद्दे को एड्रेस किया" में एड्रेस का समानार्थी चर्चा/विचार हो सकता है। समाधान या निपटारा अभी नहीं हो रहा है। ऐसे ही कई अन्य उदाहरण हैं। मुझे आश्चर्य इस बात पर है कि "मुद्दों को संबोधित करना" वाक्यांश को क्लिष्ट और संदर्भ के उलट मानकर सिरे से खारिज किया जा रहा है।
आश्चर्य न करें राजेश जी, कभी-कभी जिद पर अड़े होना भी अच्छी बात होती है। आप इसे अन्यथा न लें। यकीन मानें ऐसा मैं मात्र कुडोज़ अंकों के लिए नहीं करता। मैं वाकई समझना चाहता हूँ कि मैं ग़लत क्यों हूँ इस मामले में। यदि आपको समय मिले तो सारे वाक्यों व लिंकों को एक बार फिर से पढ़िएगा। "मुद्दों को संबोधित", "विषयों को संबोधित" "समस्याओं को संबोधित" इत्यादि को गूगल सर्च में डालकर देखेंगे तो "संबोधित" शब्द आपको क्लिष्ट भी न लगेगा और न ही संदर्भ से इतर।
ललित जी 'हमेशा' मैने जिन व्यंग्यात्मक वाक्यों का प्रयोग किया हो, कृपया मुझे भी उनसे अवगत करवाने की महती कृपा करें, कॉपी पेस्ट कर दें तो मैं भी देख लूं
दिनभर लिंक खोजकर कॉपी पेस्ट करने की क्षमता के मामले में मैं आपको प्रणाम करता हूं, मैं इसमे असमर्थ हूं
जितने मैने मूल रूप से अंग्रेजी में लिखे हुए अंग्रेजी टेक्स्ट पढ़े हैं, उसमें राजनीतिक एड्रेस को छोड़कर, आमतौर पर एड़ेस शब्द का प्रयोग समस्या के संदर्भ करते हुए पाया है, और अनुवाद करते समय हमेशा वही बातें मेरे ध्यान में रहती है
आशीष भाई, हमेशा व्यंग्य करने के बजाय कभी-कभार तर्कों से भी चर्चा आगे बढ़ाने की कोशिश कीजिए महराज! चिंगोटी काटना आसान होता है, लेकिन तर्क सहित चर्चा को आगे बढ़ाना मुश्किल। आप मुझे शाब्दिक अनुवाद का पुरोधा साबित कर दीजिएगा, पर मैंने जो उदाहरण दिए उन्हें खारिज तो कीजिए पहले।
आज एक सज्जन की याद ताजा हो गई, पेशे से लेखक व अनुवादक हैं, वह एक शब्द का प्रयोग करते हैं, ''नई जमीन तोड़ना'', जिसका संदर्भ वह उठाते हैं Breaking New Ground से
अगर वह इस चर्चा में मौजूद होते हैं, तो निश्चित तौर पर वह भी संबोधित ही करते
राजेश जी, मैं एजेंसी नहीं चलाता और न ही और कोई धंधा पानी करता हूँ, इसलिए स्वार्थ जुड़े होने की बात आप क्यों कर रहे हैं आप जानें। मैंने अनेक तर्क सामने रखे हैं। किसी का उत्तर बेहतर हो सकता है, इसमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन कोई यह कहे कि "मुद्दों को संबोधित करना" वाक्यांश ही ग़लत है, अनुचित है, बेतुका है तो आश्चर्य होता है। मैंने तो नानाविध उदाहरण दिए हैं, हिंदी के लेखकों के लेखों से वाक्य उद्धृत किए हैं। संबोधित शब्द क्लिष्ट लग रहा है तो क्या कहा जा सकता है। मेरा आपसे अनुरोध है कि मेरे तर्कों को ग़लत ठहराएँ। बताएँ कि लेखक उदयप्रकाश ने ग़लत वाक्य लिखा है। बताएँ कि सांस्कृतिक परिषद ने ग़लत शब्द चयन किया है। जनसत्ता से लेकर तमाम अख़बार इस संदर्भ में "संबोधित" शब्द का प्रयोग क्यों कर रहे हैं।
ललित सती जी, आपने मुझे चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है, धन्यवाद! लेकिन इसमें चर्चा करने जैसी कोई चीज़ ही मुझे नज़र नहीं आती। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि एक अनुवादक को शब्दानुवाद की अपेक्षा भावानुवाद पर ज़ोर देना चाहिए। क्या आशीष जी द्वारा सुझाया गया अनुवाद आपको सहज, सरल व सुग्राह्य के साथ-साथ उपयुक्त नहीं लगता? माफ करें, कुछ कुडोज़ अंकों के चक्कर में अनुवाद को क्लिष्ट बनाने से बचें। कोई भी तटस्थ व्यक्ति आपके सुझाव को सिरे से खारिज कर देगा और जो नहीं करता उसका आपसे निश्चित तौर पर कोई स्वार्थ जुड़ा है।
एड्रेस एन इश्यू के लिए हिंदी में सुस्पष्ट अभिव्यक्तियाँ मौज़ूद हैं, प्रचलित हैं। सरलीकरण की चाहत रखने वालों के लिए इसे "मुद्दे पर ध्यान देना", "मुद्दे पर विचार करना" लिखा जा सकता है। जिन्हें इस चर्चा में रुचि हो उनके लिए कुछ लिंक इस प्रकार हैं - Think about and begin to deal with (an issue or problem): a fundamental problem has still to be addressed (http://www.oxforddictionaries.com/definition/english/address... और भी देखें -To address an issue is to direct attention to it. It doesn't mean the issue will be solved, only acknowledged...One can address an issue or problem, or in other words acknowledge, or focus on it for a long time. That doesn't in and of itself solve the problem. http://english.stackexchange.com बहरहाल, बहुत ढूँढ़ा, आज कई अंग्रेज़ी व हिंदी भाषा के विद्वानों से बात की, पता चला कि अंग्रेज़ी भाषा के कंटेंट के अनुरूप “मुद्दे को संबोधित करना” सही है और प्रयोग में है। ख़ैर यह चर्चा बहुत दिलचस्प हुई। कैसे कैसे तर्क सामने आए कि Address an issue का मतलब मुद्दे का समाधान करना या निराकरण करना ही होता है। वो तो अज्ञानी अनुवादकों की वजह से संबोधन प्रचलित हो गया होगा, मूर्ख शब्दकोश निर्माताओं को निराकरण जैसा पहलू दिखा ही नहीं होगा, इसलिए गड़बड़ हुई।
http://www.thefreedictionary.com/address में एड्रेस के ये दो मतलब भी दिए हुए हैं - a. To direct the efforts or attention of (oneself): address oneself to a task. b. To deal with: addressed the issue of absenteeism.
अब जरा हिंदी के शब्दकोशों को देखें। हरदेव बाहरी, फ़ादर बुल्के से लेकर कई अन्य शब्दकोशों में “निराकरण” शब्द कहीं नहीं है। क्या ऐसा है कि वे एड्रेस के उपरोक्त अर्थों से परिचित नहीं थे?
हिंदी के लेखक उदयप्रकाश की इस पंक्ति को देखें, "वे न तो राजनीति के अति-परिचित चेहरे में कोई बदलाव करना चाहते हैं, न दरअसल नागरिक समाज की मूल समस्याओं को संबोधित करना चाहते हैं" (http://books.google.co.in/books?id=y_fhl6CNH1cC&pg=PA74&dq="... यह कोई अनुवाद नहीं है। एक हिंदी अखबार में प्रकाशित लेख है।
बाला जी, Address the issue प्रश्न है। प्रश्नकर्ता ने कोई संदर्भ उपलब्ध नहीं कराया है। ऐसी स्थिति में जो मानक हिंदी शब्द है, शब्दकोशों में जो शब्द दिया है, उसे ही यहाँ प्रस्तुत किया जाएगा। हो सकता है कि किसी ख़ास संदर्भ में एड्रेस के लिए विचार करना लिखा जाए या समाधान ढूँढ़ना या कुछ और। मुद्दे को संबोधित कम अंग्रेज़ी जानने वाले अनुवादक ही नहीं करते हैं, बल्कि हिंदी पट्टी के तमाम लेखक मुद्दे/विषय को संबोधित करते हैं। हिंदी अख़बारों का सामान्य रिपोर्टर भी इसे प्रयोग में लाता है। जाहिर है यह शब्द इस रूप में प्रचलन में आ चुका है। केवल अनुवाद का मामला नहीं है।
आशीष जी, क्या भोली अदा है वार करने की - "जहां तक सीसैट वाली बात को लेकर आपका आपा खोना है..."। यह भी "ब्रॉड कन्टेक्स्ट में कही जाने वाली बातों" का एक नमूना है। है न? बहरहाल आशीष जी, नमस्ते। ख़ुश रहिए अपनी सरल हिंदी और अंग्रेज़ी के विशद ज्ञान के साथ।
डॉ राम प्रकाश सक्सेना द्वारा संपादित हिंदी कोश में संबोधन का यह अर्थ दिया गया है...
संबोधन (सं.) [सं-पु.] 1. बोध कराना; ज्ञान कराना 2. जगाना; बतलाना; समझाना-बुझाना 3. आह्वान करना; पुकारना 4. किसी को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द 5. व्याकरण का आठवाँ कारक।
इनमें से कोई भी अर्थ निराकरण वाला भाव नहीं देता है।
अँग्रेज़ी में एड्रेस के दो अर्थ होते हैं 1. संबोधित करना, 2. निराकरण करना। दूसरा अर्थ गौण है, और कई ऑनलाइन कोशों में इसे दिया तक नहीं गया है। यह दूसरा अर्थ एक प्रकार से मुहावरेदार भी है, और निकारण के अर्थ में इसका प्रयोग भी अँग्रेज़ी में काफी होता है। मुझे लगता है कि हिंदी कोशों में केवल पहले अर्थ को ध्यान में रखते हुए, इसके लिए संबोधन दिया गया है और निराकरण वाला अर्थ छो़ड़ दिया गया है। अब अनुवादक जो अँग्रेज़ी कम जानते हैं, इस एड्रेस को निराकरण के अर्थ में प्रयोग हुआ देखते है, और उसका अर्थ ठीक से न समझकर कोश देखते हैं और वहाँ उन्हें संबोधन लिखा मिलता है तो वे आँख मूँदकर इसी का प्रयोग कर डालते हैं। हो सकता है कि ऐसा अनेक बार हुआ हो और यह अंधानुकरण हिंदी में इतना बढ़ गया हो को संबोधन शब्द का पारंपरिक अर्थ ही बदल गया हो। यदि यह बात हो तो संबोधन का ललित वाला प्रयोग ठीक समझा जा सकता है, पर जब तक यह सिद्ध नहीं होता, संबोधन का प्रचलित अर्थ पुकाराना ही सही माना जाएगा, और अँग्रेज़ी के निराकरण वाले मुहारेदार प्रयोग के लिए संबोधन चलाना अज्ञानता ही माना जा सकता है।
आशीष जी, दो कदम पहले की अपनी पूरी टिप्पणी पढ़ें। दूसरों की भाषा को सरकारी-नुमा घोषित कर देना कितना आसान होता है। मैंने तो आपके द्वारा किए गए सरल हिंदी अनुवादों में से एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। माफ़ कीजिएगा, मैंने कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाया है। आपकी टिप्पणी पढ़ने के बाद आपकी प्रोफ़ाइल पर मैं गया ताकि 'समझ में आने वाली' हिंदी के उदाहरणों से रूबरू होऊँ। कोई भी उन उदाहरणों को देख सकता है।
आशीष जी, भाषण न दें तो ही अच्छा। अब तक मैंने जिन कुडोज़ प्रश्नों के उत्तर दिए हैं, वे सबके सामने हैं। "सरकारी-नुमा" और सीसैटनुमा हिंदी का एक नायाब उदाहरण यह है, जिसे आपके प्रोफ़ाइल से ही प्रस्तुत कर रहा हूँ, न कि सीसैट के प्रश्नपत्र से - "किसी सूचकांक अथवा अन्य प्रमुख मुद्राओं के समूह के सापेक्षिक किसी देश की मुद्रा का भारित औसत, जो कि मुद्रास्फीति के प्रभाव के प्रति समायोजित होता है। इसमें भार का निर्धारण, एक देश की मुद्रा के संदर्भ में, सूचकांक के शेष अन्य प्रत्येक देशों की मुद्रा के साथ सापेक्षिक व्यापार संतुलन की तुलना करने के द्वारा किया जाता है। "
जी बात पढ़े / सुने होने की नहीं है, यह पढ़ने / सुनने के पश्चात आंख मूंद कर सही मानने की या उस पर तार्किक रूप से विचार करने बात की है
हिन्दी शब्दकोष से किसी शब्द का अर्थ लेने के पश्चात संदर्भ पर ध्यान दिए बिना हर एक वाक्य में उसी अर्थ का प्रयोग करने के कारण ही आज हिंदी उपेक्षा का शिकार हो रही है और समाज का एक वर्ग इसे 'समझ में न आने वाली' कहता है
हमें इस सरकारी-नुमा हिंदी से ऊपर उठकर डायनामिक बनते हुए संदर्भानुसार शब्द चयन का अभ्यास करना चाहिए, वैसे इस सरकारी-नुमा हिंदी का एक उदाहरण कल के सी-सैट के परीक्षापत्र के अनुवाद में देखा जा सकता है
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा प्रकाशित पुस्तक का यह वाक्य देखें और बताएँ कि क्या यहाँ भी "संबोधित" शब्द "बिलकुल बेतुका लगता है" - "इस काव्य संग्रह में ये स्त्री-अस्मिता के साथ-साथ साम्प्रदायिकता, आजादी, भूख, बेरोजगारी और पारिवारिक संबंधों जैसे विषयों को संबोधित करती हैं।" (http://books.google.co.in/books?id=R8ALAQAAMAAJ&q="विषयों को...
मुद्दे/मसले/मामले को संबोधित किया जाता है, समस्या को संबोधित किया जाता है और इस संबोधन का अर्थ issue को Address करना ही होता है। अनगिनत उदाहरण दिए जा सकते हैं। घोर आश्चर्य है या कहें विडंबना है कि कतिपय अनुवादक मित्रों ने इस संदर्भ में संबोधित का प्रयोग पढ़ा-सुना ही नहीं है। उन्हें इस संदर्भ में संबोधित का प्रयोग अनुपयुक्त लगता है। दुखद है।
मुझे आश्चर्य है कि मुद्दे को संबोधित करना जैसे वाक्यांशों से हिंदी के कुछ विद्वान/अनुवादक अनभिज्ञ हैं। मैं प्रतिष्ठित साइटों से कुछ वाक्य नीचे दे रहा हूँ। शायद ये विद्वान/अनुवादक जान पाएँ कि "संबोधित" का वाक्य प्रयोग इस रूप में भी होता है -
ग्यारहवीं योजना के अंतिम चरण में, भारत के पूर्वी राज्यों में कृषि उत्पादन से सम्बंधित मुद्दों को संबोधित करने हेतु एक जनादेश के साथ पूर्वी क्षेत्र के लिए ... (http://icarrcer.in/hin/)
बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल (बीजीपी) आधुनिक नेटवर्क में अनुकूलतम रूटिंग मार्ग निर्धारण के मुद्दे को संबोधित करता है। (http://hi.wiktionary.org/wiki/सूचना_प्रौद्योगिकी_शब्दावली_(प...
बाला जी, आप यह बात कह रहे हैं तो वाकई आश्चर्य हो रहा है। "मुद्दे को संबोधित करना" संबंधी वाक्य प्रयोग के अनेक उदाहरण आप कहें तो वेबसाइटों से उपलब्ध करा दूँ या फिर हिंदी की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं से या फिर पुस्तकों से। फिलहाल मेरा सुझाव है कि आप "मुद्दों को संबोधित" को गूगलिया लें तो कई उदाहरण मिल जाएँगे।
अब उर्दू की बात आ ही गई है, तो एड्रेस के लिए एक अच्छा उर्दू विकल्प रूबरू होना है - मुद्दे/समस्या से रूबरू होना। वैसे मेरा तो मानना यह है कि एड्रेस का अर्थ समाधन करना ही है - कई मुद्दे ऐसे होते हैं जिनका कोई अंतिम समाधान जैसी कोई चीज़ नहीं हो सकती है, इनके लिए एड्रेस शब्द अँग्रेज़ी में प्रयोग किया जाता है - मुद्दे की ओर ध्यान देना, उसके सुलटाने का इंतज़ाम करना। इसके लिए संबोधित करना मेरी दृष्टि में ग़लत शब्द है, क्योंकि हिंदी में संबोधित का आम अर्थ किसी को पुकारना होता है, और मुद्दे को पुकारना, बिलकुल बेतुका लगता है।
जब भाषण के संदर्भ में Address की बात आती है तो, उसमें 'संबोधित करना' करना छोड़कर अन्य कोई विकल्प ही नहीं मौजूद है, (या उर्दुनिष्ठ भाषा में मुखातिब होने का प्रयोग किया जाता है), जैसे कि
On independence day PM addressed the youth / nation स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने युवाओं / राष्ट्र को सम्बोधित किया
ध्यान देने के लिए pay heed / pay attention / care जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है , जैसे कि
CEO never paid heed to ongoing tussle between HR and Account department CEO didn't pay attention to late payment of creditors CEO never cared about management in the office
प्राय: Address का संदर्भ वाक्य में समाधान को लेकर ही देखा जाता है